Sunday, August 30, 2009


प्रिय दोस्तों
कुछ दिन के लिए आप लोगो से दूर जा रही हूँ। एक रिपोर्ट के सिलसिले में। आप भी सोचते होंगे के मैंने हमेशा आपको अपनी गज़लों और कविताओं में डुबोये रक्खा कभी किसी रिपोर्ट से रूबरू नही कराया। दरअसल पत्रिका की रिपोर्ट्स काफ़ी लम्बी होती हैं और उनको ब्लॉग पर पूरा टाइप कर पाना सम्भव नही। इसके लिए तो आपको हमारी वीकली मैगजीन इंडिया न्यूज़ खरीद कर पढ़नी होगी। पिछले दिनों मैंने जिस रिपोर्ट पर काम किया उसके बारे में आपको जानकारी देना चाहती हूँ। ये जानकारी इसलिए भी देना चाहती हूँ क्योंकि जिस सामाजिक समस्या और उससे जुड़े क़ानून में बदलाव की बात मैंने अपनी इस रिपोर्ट में उठाई है, उस समस्या से आज हमारे बहुत सारे भाई जूझ रहे हैं। हमारे समाज में एक कहावत है के मर्द को दर्द नही होता। लिहाजा लाख दर्द हो मर्द के मुह से आह नही निकलती। पर ये उनके साथ बड़ी बेइंसाफी है। इंसान के रूप में जनम लिया है तो संवेदना से दूर कोई कैसे रह सकता है? चोट लगती है तो दर्द तो निश्चित होता है। गहरी चोट लगती है तो आंसू भी निकल आते हैं। यही तो पहचान हैं हमारे इंसान होने की, दर्द का पता ही ना चले तो इंसान देवता ना हो जाए? तो मैं बात कर रही थी अपनी रिपोर्ट के बारे में। ये रिपोर्ट DOWRY LAW के SECTION ४९८-ए से जुड़ी है। आज इस क़ानून का बहुत ग़लत प्रयोग हो रहा है। जिसके चलते बहुत निर्दोष आदमी जेल की सलाखो के पीछे हैं। बहुत सारे निर्दोष आदमी CRIMINAL CASES में फंस कर अपना सबकुछ खो चुके हैं। इस क़ानून के चलते उनके बीमार माँ बाप, छोटे भाई बहन भी जेल में हैं। ऐसे बहुत सारे पीड़ित पुरुषों की कहानियाँ मैंने इस रिपोर्ट में उठाई हैं जो इस क़ानून के ग़लत प्रयोग के चलते बरबाद हो गए। उनकी तकलीफ को मैंने वैसे का वैसा ही अपनी रिपोर्ट में लिखा है। मैं जानती हूँ हमारे आस पास न जाने कितने मर्द हैं जो अपनी तकलीफ कभी नही बोलते बस चुपचाप सबकुछ सहन कर लेते हैं। मैं चाहती हूँ के आप सब इस रिपोर्ट को देखें ताकि मर्द के दर्द का पता लग सके। ये रिपोर्ट इंडिया न्यूज़ की cover story है। जो २ SEPTMBER को मार्केट में आएगी। मुझे आशा है आप इस रिपोर्ट को देखेंगे।

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