दिल पर तेरी यादों का पहरा रात भर
फिरता रहा आँखों में चेहरा रात भर
सिमटी रही घूंघट में दुल्हन इसतरह
उतरा नहीं दूल्हे का सेहरा रात भर
तुम बहुत दूर सही ख्वाब में आते रहना
अपने होने का यूँ अहसास दिलाते रहना
अपनी नज़रों के दायरे में बाँध कर मुझको
इस ज़माने की निगाहों से बचाते रहना
नाम अल्लाह का लेने लगे हिन्दू की ज़ुबान
हर मुसलमान को मिल जाएगा वेदों में कुरान
आओ कुछ ऐसे इबादत के तरीके बदलें
आज मस्जिद में आरती हो तो मंदिर में अज़ान
Sunday, December 26, 2010
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