Saturday, August 1, 2009

जो मिला नही


प्रिय दोस्तों

मेरठ की मन विचलित करने वाली रिपोर्ट के बाद आपका मूड कुछ अच्छा कर दिया जाए। पिछले दिनों बिंदिया में मेरी एक ग़ज़ल प्रकाशित हुई। लीजिये आप सब भी सुनिए।


मैंने कोशिशें तो हज़ार की

मेरा दिल किसी से मिला नही

मेरी ख्वाहिशें ही बुलंद थीं

मुझे ज़िन्दगी से गिला नही

कई हमसफ़र कई हमनशीं

कई संगदिल भी मिले मगर

मेरे गम की आग में जल उठे

वो चरागे दिल ही मिला नही

ये जला हुआ मेरा आशियाँ

ये लुटा लुटा मेरा गुलसितां

मेरे दोस्तों की इनायतें

मुझे दुश्मनों से गिला नही

1 comment:

  1. naseem ji apki gajal bahut umda thi agar apne iske alaawa kuch or gazle bhi likhi hai to unhe blog par daaliya hame un gazlo ka intazaar rahega vandana bhadaura

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