लब मेरे खामोश रहेंगे क्योंकि मेरा प्यार हो तुम
वरना मेरा दिल जाने है झूठे और मक्कार हो तुम
फूलों सी मुस्कान में लिपटा शबनम भीगा प्यार तेरा
जैसे मतलब निकल गया तो बरछी और कटार हो तुम
बंट जाते हो सब लोगों में मुझको तनहा छोड़ के तुम
मैं झूठे कहती रहती हूँ के मेरा अधिकार हो तुम
जिनसे तुम नफरत करते हो उनसे ही तुम महफ़िल में
हंस हंस के बातें करते हो कैसे रंगे सियार हो तुम
मजबूरी है रहना होगा रक्खोगे जिस हाल में तुम
मैं हूँ जैसे बेबस जनता और मेरी सरकार हो तुम
Wednesday, November 17, 2010
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गहरी बात कह दी आपने। नज़र आती हुये पर भी यकीं नहीं आता।
ReplyDeletebahut accha likhti h aap
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