कौन कहता है के अपने देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब ख़त्म हो गई है? कौन कहता है के हम एक दूसरे से नफरत करते हैं? जन्माष्टमी के पावन पर्व पर पटना के एक स्कूल में होने वाले रंगारंग कार्यक्रम में अपने बेटे को नटखट कन्हैया के रूप में सजा कर मंच पर उतारने वाली इस मुसलमान माँ के ममता भरे दिल से कोई पूछे के क्या उसे कृष्ण और करीम में कोई फर्क नज़र आता है?
जवाब होगा - नहीं।
ये फर्क तो सिर्फ उनको नज़र आता है जिनकी आँखों पर राजनीति का रंगीन चश्मा चढ़ा है।
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